बैंक लेते रहेंगे लिखे हुए नोट-
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार कोई भी बैंक ऐसा नोट लेने से मना नहीं कर सकता, जिस पर किसी भी प्रकार से कुछ लिखा गया हो। इसलिए ऐसे नोट ग्राहकों से ले लिए जाएं, लेकिन उन्हें पुन: प्रचलन में लाने से बैंक बचें। इसके साथ ही बैंकों से यह भी कहा गया है कि वे उपभोक्ताओं को आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के बारे में जागरूक करें। दरअसल, सोशल मीडिया पर यह प्रचारित किया जा रहा है कि 1 जनवरी-14 से बैंक किसी भी ऐसे नोट को स्वीकार नहीं करेंगे, जिन पर पेन से किसी भी तरह से कुछ लिखा गया हो। इसका असर यह हुआ कि कई व्यापारियों ने भी ग्राहकों से ऐसे नोट लेने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि उसकी क्लीन करंसी पॉलिसी सालों पुरानी है। इसमें एक जनवरी से कोई बदलाव नहीं हो रहा। लिखा नोट बैंक में आने के बाद पुन: प्रचलन में न लाएं: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्लीन नोट पॉलिसी के अंतर्गत 14 अगस्त 2013 को जारी किए अपने सकरुलर में सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे नोट जिन पर कुछ लिखा हुआ है, उन्हें गंदा नोट माना जाए। ऐसे नोट एक बार बैंक में जमा होने पर उन्हें पुन: प्रचलन में लाने से बचें। यदि कोई ग्राहक लिखे नोटों को जमा करता है तो उससे वे ले लिए जाएं, लेकिन दूसरे उपभोक्ताओं को ऐसे लिखे नोट न दिए जाएं। उन्हें साफ-सुथरे नोट ही दिए जाएं। लिखे नोट को लेकर जागरूक बना रहे हैं बैंक लिखे हुए नोट ले रहे हैं। साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की क्लीन नोट पॉलिसी के अंतर्गत ऐसे नोट लाने वाले ग्राहकों को यह भी बता रहे हैं कि वे नोट पर लिखने से बचें, क्योंकि इससे करेंसी की उम्र कम हो जाती है तथा वह एटीएम में चलने लायक नहीं रह जाता है।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुसार कोई भी बैंक ऐसा नोट लेने से मना नहीं कर सकता, जिस पर किसी भी प्रकार से कुछ लिखा गया हो। इसलिए ऐसे नोट ग्राहकों से ले लिए जाएं, लेकिन उन्हें पुन: प्रचलन में लाने से बैंक बचें। इसके साथ ही बैंकों से यह भी कहा गया है कि वे उपभोक्ताओं को आरबीआई की क्लीन नोट पॉलिसी के बारे में जागरूक करें। दरअसल, सोशल मीडिया पर यह प्रचारित किया जा रहा है कि 1 जनवरी-14 से बैंक किसी भी ऐसे नोट को स्वीकार नहीं करेंगे, जिन पर पेन से किसी भी तरह से कुछ लिखा गया हो। इसका असर यह हुआ कि कई व्यापारियों ने भी ग्राहकों से ऐसे नोट लेने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि उसकी क्लीन करंसी पॉलिसी सालों पुरानी है। इसमें एक जनवरी से कोई बदलाव नहीं हो रहा। लिखा नोट बैंक में आने के बाद पुन: प्रचलन में न लाएं: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने क्लीन नोट पॉलिसी के अंतर्गत 14 अगस्त 2013 को जारी किए अपने सकरुलर में सभी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि ऐसे नोट जिन पर कुछ लिखा हुआ है, उन्हें गंदा नोट माना जाए। ऐसे नोट एक बार बैंक में जमा होने पर उन्हें पुन: प्रचलन में लाने से बचें। यदि कोई ग्राहक लिखे नोटों को जमा करता है तो उससे वे ले लिए जाएं, लेकिन दूसरे उपभोक्ताओं को ऐसे लिखे नोट न दिए जाएं। उन्हें साफ-सुथरे नोट ही दिए जाएं। लिखे नोट को लेकर जागरूक बना रहे हैं बैंक लिखे हुए नोट ले रहे हैं। साथ ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की क्लीन नोट पॉलिसी के अंतर्गत ऐसे नोट लाने वाले ग्राहकों को यह भी बता रहे हैं कि वे नोट पर लिखने से बचें, क्योंकि इससे करेंसी की उम्र कम हो जाती है तथा वह एटीएम में चलने लायक नहीं रह जाता है।
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